मंदिरों में सजी रंगों से विशेष झांकी, सिटी पैलेस में हुआ मुख्य कार्यक्रम, देश-विदेश के लोगों ने लगाए ठुमके.....
जयपुर में रविवार को देर रात जगह-जगह लोगों ने होलिका दहन परंपरापूर्वक किया। सबसे पहले जयपुर के राज परिवार ने होलिका दहन का मुख्य कार्यक्रम सिटी पैलेस में पारंपरिक तरीके से किया। इसके बाद शहर के हर गली मोहल्ले में होलिका दहन हुआ। सिटी पैलेस में होलीका जलाने के बाद वहा से कंडे का बंडल जलाकर युवा बाइक पर सवार होकर शहर के अन्य जगह पर होलीका जलाने के लिए रवाना हो गए।
लोगों ने विशेष कर महिलाओं ने होलिका स्थल पर जाकर होली की पूजन कर सुख समृद्धी की कामना की। महिलाएं मंगल गीत गाती हुई होलिका स्थल पर पहुंची। इसके बाद पूजन किया। इस मौके घर में बनाए गए बड़कूले होलिका को चढ़ाए गए। साथ ही नव विवाहित जोड़ों ने भी धोक लगाई। वहीं विदेशी महिलाओं ने ढोल नगाड़ा पे जमकर डांस की।
होलिका दहन को लेकर लोगों की अलग अलग सोच
लोगों के मान्यता के अनुसार होली के समय से ही बंसत ऋतु शुरू होती है। बसंत ऋतु के स्वागत में ये पर्व मनाया जाता है। एक अन्य मान्यता है कि कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए बसंत ऋतु को प्रकट किया था। शिव जी कामदेव के इस काम की वजह से बहुत क्रोधित हो गए थे। भगवान ने जैसे ही अपना तीसरा नेत्र खोला, कामदेव भस्म हो गए। ये फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की ही घटना मानी गई है। वही कई लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण के भक्त प्रहलाद के भगवान की भक्ति से परेशान होकर प्रहलाद के पिता हिरणाकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को आग मे जला दो। होलिका ने प्रहलाद को लेकर आग मे बैठी लेकिन प्रहलाद नही जले । और होलिका जल गई उसी दिन से होलिका दहन का पर्व मनाया जाता हैं।
नई फसल पकने का समय
ये नई फसल पकने का समय है। भारत में फसल आने पर उत्सव मनाने की परंपरा है। होली के समय खासतौर पर गेहूं की फसल पक जाती है। ये फसल पकने की खुशी में होली मनाने की परंपरा है। किसान जलती हुई होली में नई फसल का कुछ भाग अर्पित करते हैं और खुशियां मनाते हैं।
भारतीय संस्कृति के मुताबिक हमें जो भी वस्तु प्राप्त होती है, उसमें से कुछ भाग भगवान को अर्पित किया जाता है। इसी वजह से नई फसल आने पर जलती हुई होली में अन्न अर्पित किया जाता है। जलती हुई होली को यज्ञ की तरह माना जाता है।
0 टिप्पणियाँ